पैगंबर हज़रत मुहम्मद- शांति हो उन पर- के व्यवह

पैगंबर हज़रत मुहम्मद-शांति हो उन पर-के व्यवहार के विषय में कुछ शब्द: (दूसरा भाग)

ढ)हज़रत मुहम्मद-शांति हो उन पर- ने गरीबी के डर से बच्चों की हत्या को निषिद्ध स्पष्ट किया इसी प्रकार किसी भी निर्दोष की हत्या से मना किया. पवित्र कुरान में अल्लाह का आदेश है:

"कह दो: आओ, मैं तुम्हें सुनाऊँ कि तुम्हारे पालनहार ने तुम्हारे ऊपर क्या पाबंदियाँ लगाई है: यह कि किसी चीज़ को उसका साझीदार न ठहराओ और माँ-बाप के साथ सद्व्यवहार करो और निर्धनता के कारण अपनी संतान की हत्या न करो, हम तुम्हें भी रोज़ी देते हैं और उन्हें भी, अश्लील बातों के निकट न जाओ, चाहे वे खुली हुई हों या छिपी हुई हों, और किसी जीव की, जिसे अल्लाह ने आदरणीय ठहराया है, हत्या न करो, यह और बात है की हक़ के लिये ऐसा करना पड़े.ये बातें हैं जिनकी ताकीद उसने तुम्हें की है, शायद कि तुम बुद्धि से काम लो.

[पवित्र कुरान, अल-अनआम 6:151]

ण)हज़रत मुहम्मद-शांति हो उन पर-कभी व्यभिचार के निकट भी नहीं हुवे, और उन्होंने अपने अनुयायियों को भी केवल वैध शादी पर आधारित महिलाओं के साथ संभोग का आदेश दिया और शादी से बाहर के सभी यौन संबंधों को निषिद्ध किया. सर्वशक्तिमान अल्लाह का पवित्र कुरान में आदेश है:

"शैतान तुम्हें निर्धनता से डराता है और निर्लज्जता के कामों पर उभारता है , जबकि अल्लाह अपनी क्षमा और उदार क्रपा का तुम्हें वचन देता है , अल्लाह बड़ी समाईवाला,सर्वज्ञ है." 

[पवित्र कुरान, अल-बक़रह: 2:268]

"कह दो: मेरे रब ने केवल अश्लील कामों को हराम किया है--जो उनमें से प्रकट हों उन्हें भी और जो छिपे हों उन्हें भी -----और ह्क़ मारना नाहक़ ज़्यादती और इस बात को कि तुम अल्लाह का साझीदार ठहराओ,जिसके लिए उसने कोई प्रमाण नहीं उतारा और इस बात को भी कि तुम अल्लाह पर थोपकर ऐसी बात कहो जिसका तुम्हें ज्ञान न हो."

[पवित्र कुरान, अल-अअराफ़ 7:33]

" और व्यभिचार के निकट न जाओ. वह एक अश्लील क्रम और बुरा मार्ग है."

[पवित्र कुरान, अल-इसरा: 17:32]

"व्यभिचारी किसी व्यभिचारणी या बहुदेववादी स्त्री से ही निकाह करता है, और इसी प्रकार व्यभिचारणी, किसी व्यभिचारी या बहुदेववादी से ही निकाह करती है.और यह मोमिनों पर हराम है."

[पवित्र कुरान, अन-नूर: 24:3]

"जो लोग चाहते हैं कि उन लोगों में जो ईमान लाए हैं , अश्लीलता फैले, उनके लिए दुनिया और अखिरत(लोक-परलोक)में दुखद यातना है, और अल्लाह जानता है और तुम नहीं जानते." 

[पवित्र कुरान, अन-नूर: 24:१९]

"हे नबी! जब तुम्हारे पास ईमानवाली स्त्रियाँ आकर तुमसे इसपर 'बैअत' करें कि वे अल्लाह के साथ किसी चीज़ को साझी नहीं ठहराएँगी और न चोरी करेंगी और न व्यभिचार करेंगी , और न अपनी संतान की हत्या करेंगी और न अपने हाथों और पैरों के बीच कोई आरोप घड़कर लाएँगी और न किसी भले काम में तुम्हारी अवज्ञा करेंगी , तो उनके लिए अल्लाह से क्षमा की प्रर्थना करो, निश्चय ही अल्लाह बहुत क्षमाशील, अत्यंत दयावान है."

[पवित्र कुरान, अल-मुम्तहिना: 60:12]

हज़रत मुहम्मद-शांति हो उन पर-के समय में सारे संसार में व्यभिचार आम था, फिर भी वहइस काम से सदा दूर रहे, और अपने अनुयायियों को भी इस बुराई से सदा मना किया.

त) हज़रत मुहम्मद-शांति हो उन पर- नेपैसे उधार पर सूदखोरी और ब्याज से मना किया, जैसा कि हज़रत ईसा-शांति हो उन पर- ने भी सदियों पहले इस से रोका था, यह तो स्पष्ट है कि सूदखोरी लोगों के धन-संपत्ति को कैसे हड़प कर लेती है, और इतिहास भर में आर्थिक प्रणालियों को कैसे नष्ट करते आ रही है, और यही बात पहले के सारे नबियों की शिक्षाओं में मिलती है. हज़रत मुहम्मद-शांति हो उन पर- ने भी इस तरह के व्यवहार को सबसे बुरी क़रार दिया और उससे बचने का आदेश दिया ताकि एक व्यक्ति अल्लाह और लोगों के साथ शांति का माहोल बनाने में सफल हो.

"जो लोग ब्याज खाते हैं , वे बस इस प्रकार उठते हैं जिस प्रकार वह व्यक्ति उठता है, जिसे शैतान ने छुकर बावला कर दिया हो और यह इसलिये कि उनका कहना है: व्यापार भी तो ब्याज की तरह ही है, जबकि अल्लाह ने व्यापार को वैध और ब्याज को अवैध ठहराया है अतः

"जिसको उसके रब की ओर से नसीहत पहुँची और वह बाज़ आ गया , तो जो कुछ पहले ले चुका वह उसी का रहा और मामला उसका अल्लाह के हवाले है, और जिस ने फिर यही कर्म किया तो ऐसे ही लोग आग (जहन्नम) में पड़नेवाले हैं, उसमें वे सदैव रहेंगे".

"अल्लाह ब्याज को घटाता और मिटाता है और सदक़ों बढ़ाता है और अल्लाह किसी अकृतज्ञ हक़ मरनेवाले को पसन्द नहीं करता."

"निस्संदेह जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किये और नमाज़ क़ाएम की और ज़कात दी. उनके लिए उनका बदला उनके रब के पास है और उन्हें न कोई भय होगा और न वे शोकाकुल होंगे."

"हे ईमान लानेवालो! अल्लाह का डर रखो और जो कुछ ब्याज बाक़ी रह गया है उसे छोड़ दो, यदि तुम ईमानवाले हो."

"फिर यदि तुमने ऐसा न किया तो अल्लाह और उसके रसूल से युद्ध के लिए खबरदार हो जाओ और यदि तौबा करलो तो अपना मूलधन लेने का तुम्हें अधिकार है न तुम अन्याय करो और न तुम्हारे साथ अन्याय किया जाए."

[पवित्र कुरान, अल-बक़रह: 2:२७५-२७९]

थ) हज़रत मुहम्मद-शांति हो उन पर- न खुद कभी जुआ खेले और न ही अपने अनुयायियों को कभी इसकी अनुमति दी, क्योंकि जुआ भीसूदखोरी की तरह, धन-संपत्ति को फूंक देता है बल्कि जुआ तो और जल्दी धन को नष्ट कर देता है.

"तुम से शराब और जुए के विषय में पूछते हैं, कहो: उन दोनों चीज़ों में बड़ा पाप है यद्दपि लोगों के लिए कुछ लाभ भी हैं, परन्तु उनका पाप उनके लाभ से कहीं बढ़कर है, और वे तुमसे पूछते हैं:कितना ख़र्च करें? कहो:जो आवश्यकता से अधिक हो, इस प्रकार अल्लाह दुनिया और आखिरत के विषय में तुम्हारे लिए अपनी आयतें खोल-खोलकर बयान करता है ताकि तुम सोच-विचार करो." 

[पवित्र कुरान, अल-बक़रह: 2:219] 

जुआ तो हज़रत मुहम्मद-शांति हो उन पर- के समय से पहले कोई बुराई का काम ही नहीं था, लेकिन आज, तो अच्छी तरह खुलकर सब के सामने आगया है कि जुआ के कितने नुकसान हैं, इस के कारण परिवार पर कैसी आफ़त आती है मानसिक स्वास्थ्य कैसे प्रभावित होता है? क्योंकि काम तो शुन्य है और फिर कमाई होरही है, ऐसा तरीक़े को तो हज़रत मुहम्मद-शांति हो उन पर- की शिक्षाओं से कोई संबंध ही नहीं है.

द)हज़रत मुहम्मद-शांति हो उन पर-ने कभी शराब को हाथ तक नहीं लगाया पीना तो दूर की बात है, और न ही शराब जैसी किसी नशीली पदार्थ को हाथ लगाया.भले ही यह उनके समय में लोगों के लिए एक बहुत ही सामान्य बात थी. पवित्र कुरान में है:

"ऐ ईमान लेनेवालो! ये शराब और जुआ और देवस्थान और पाँसे तो गंदे शैतानी काम हैं, अतः तुम इनसे अलग रहो, ताकि तुम सफल हो.

शैतान तो बस यही चाहता है कि शराब और जुए के द्वारा तुम्हारे बीच शत्रुता और वैर पैदा कर दे और तुम्हें अल्लाह की याद से और नमाज़ से रोक दे, तो क्या तुम बाज़ न आओगे?"

[पवित्र कुरान, अल-माइदा: 5:90-91]

अरबके लोग भी, अपने समय में अन्य संस्कृतियोंकी तरह जमकर शराब पीते थे उन्हें स्वास्थ्य क्षति या व्यवहार औरनैतिक नुक़सान की कोई परवाह नहीं थी. बल्कि उनमें से कई शराबियों की स्तिथि यह थी कि वह उसी पर जीते मरते थे.
आज की दुनिया में तो शराब की लत की गंभीरता और खतरों के विषय लंबे-चौड़े विचार और बहस की तो आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि सब खुल कर सामने आचुका है, इसके कारण बहुत सी बीमारियाँ मनुष्य पर टूटती हैं, और यह एक व्यक्ति के स्वास्थ्य को भी बर्बाद कर देता है, और साथ ही कई इसके कारण कई यातायात दुर्घटनाएं घटती रहती हैं जिन में संपत्ति भी नष्ट होती हैं और जानें भी जाती हैं. इसलिए हज़रत मुहम्मद-शांति हो उन पर-के अनुयायियों के लिए सब से पहले यह आदेश आया था कि शराब पीकर नमाज़ न पढ़ें फिर बाद में किसी भी समय पिने से पूरा पूरा रोक दिया गया.

ध) हज़रत मुहम्मद-शांति हो उन पर- बेकार गपशप या पीठ पीछे बुराई या चुगली से सदा दूर रहे, वह तो ऐसी बातों को सुनना भी ना-पसन्द करते थे और दूर-दूर रहते थे.पवित्र कुरान में आया है.

"ऐ लोगो, जो ईमान लाए हो! यदि कोई अवज्ञाकारी तुम्हारे पास कोई खबर लेकर आए तो उसकी छानबीन कर लिया करो, कहीं ऐसा न हो कि तुम किसी गिरोह को अनजाने में तकलीफ और नुक्सान पहुँचा बैठो , फिर अपने किये पर पछताओ." 

[पवित्र कुरान, अल-हुजुरात: 49:6]

"ऐ लोगो जो ईमान लाए हो! न परुषों का कोई गिरोह दूसरे परुषों की हँसी उड़ाए, संभव है वे उनसे अच्छे हों और न स्त्रियाँ स्त्रियों की हँसी उड़ाऐँ, संभव है वे उनसे अच्छी हों, और न अपनों पर ताने कसो और न आपस में एक-दूसरे को बुरी उपाधियों से पुकारो, ईमान के पश्चात अवज्ञाकारी का नाम जुड़ना बहुत ही बुरी है, और जो व्यक्ति बाज़ न आए, तो ऐसे व्यक्ति ज़ालिम हैं."

"ऐ ईमान लेनेवालो! बहुत से गुमानों से बचो, क्योंकि कतिपय गुमान पाप होते हैं, और न टोह में पड़ो और न तुममें से कोई इसको पसन्द करता है कि वह अपने मरे हुवे भाई का मांस खाए? वह तो तुम्हें अप्रिय होगा ही , -----और अल्लाह का डर रखो, निश्चय ही अल्लाह तौबा स्वीकार करनेवाला, अत्यंत दयावान है." 

[पवित्र कुरान, अल-हुजुरात:49:11-12]

निश्चित रूप से, इन शिक्षाओं को आज की दुनिया में भी सराहा जाएगा जबकि आज लगभग सभी लोग बेकार गपशप में समय बरबाद करते हैं , एक-दूसरे-की बुराई और गाली-गलोज में डूबे हुवे हैं. लोग तो अपने रिश्तेदारों और चाहने वालों को भी नहीं छोड़ते हैं.

न)हज़रत मुहम्मद-शांति हो उन पर-बहुत उदार थे और वहअपनेअनुयायियोंको भी ऐसा हीकरने के लिए आग्रहकरते थे, एक दूसरे के साथ अपनेव्यवहार को सुन्दर रखने का आदेश देते थे, और बकायाकर्ज को क्षमाकरने के लिए भी आग्रहकिया करते थे.ताकिसर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास से अच्छा से अच्छा फल मिले.इस संबंध में पवित्र कुरान में आया है.

"और यदि कोई तंगी में हो तो हाथ खुलने तक मुहलत देनी होगी, और सदक़ा कर दो(अर्थातू मूलधन भी न लो) तो यह तुम्हारे किये अधिक उत्तम है, यदि तुम जान सको."

"और उस दीन का डर रखो जबकि तुम अल्लाह की ओर लौटेंगे, फिर प्रत्येक व्यक्ति को जो कुछ उसने कमाया पूरा-पूरा मिल जाएगा और उनके साथ कदापि कोई अन्याय न होगा."

[पवित्र कुरान, अल-बक़रा: 2:280-281]

प) हज़रत मुहम्मद-शांति हो उन पर-गरीबों को दान देने का आदेश देते थे, बल्कि वह विधवाओं, अनाथों के देख-रेख में सबसे पहले और आगे-आगे रहते थे. पवित्र कुरान में आया है.

"अतः जो अनाथ हो उसे न दबाना."

[पवित्र कुरान, अद-दुहा:९३:९]

"यह उन मुहताजों के लिए है जो अल्लाह के मार्ग में घिर गए हैं कि धरती में जीविकोपार्जन के लिए) कोई दौड़-धुप नहीं कर सकते, उनके सविभिमान के कारण अपरिचित व्यक्ति उन्हें धनवान समझता है, तुम उन्हें उनके लक्षणों से पहचान सकते हो, वे लिपटकर लोगों से नहीं नहीं माँगते, जो माल भी तुम खर्च करोगे, वह अल्लाह को ज्ञात होगा."

[पवित्र कुरान, अल-बक़रह: 2,273]

फ) हज़रत मुहम्मद- शांति हो उन पर-ने लोगों को सिखाया कि प्रतिकूल परिस्थितियों, कठिनाइयों और परीक्षणोंसे कैसे निपटें जोजीवन मेंघटित होते रहते हैं, उन्होंने बता दिया कि इनका मुक़ाबलाकेवल धैर्य और विनम्र रवैया के माध्यम से ही संभव है, और इसी के द्वारा जीवन की जटिलताओं और नाउम्मीदियों से लड़ा जासकता है.

हज़रत मुहम्मद-शांति हो उन पर-बहुत अधिक धैर्य वाले थे, और नम्रतामें तो उनका जवाब नहीं था,और जिस-जिस ने भी उनसे भेंट की सब ने इन गुणों को उनमे देखा. पवित्र कुरान में उल्लेख है.


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