तर्जुमा: और अल्लाह के लिए गवाही क़ायम करो। यानी सच्चाई और इंसाफ के साथ गवाही दो जिसमें किसी भी तरह की कोई तब्दीली ना हो। ना उसमें ज़्यादती हो और ना ही कमी। इसलिए पूरे तौर से सही़ह़ गवाही वही शख्स दे सकता है जो शब्दों के तरीकों में माहिर हो, तजुर्बे कार हो, स्थितियों और उनकी तब्दीली का अच्छा जानकार हो और इनके अलावा जैसे साबित रहने, सच्चाई का सामना करने, बिना किसी डर के हक़ व सच को साबित करने और झूठ को गलत ठहराने वाली जैसी बेहतर विशेषताएं उसके अंदर मौजूद हों जो सच्च गवाही देने में उसकी मदद करें।