पैगंबर मुह़म्मद (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम) अपने परिवार के साथ

पैगंबर मुह़म्मद (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम)  के निजी जीवन को पढ़ने वाला को ,उस व्यक्ति पर आश्चर्य होगा, कि जो अज्ञानता और अराजकतावाद से भरे हुए  कठोर और रेगिस्तान वातावरण से आया तो वह अतुलनीय पारिवारिक सफलता के उच्चतम स्तर तक कैसे पहुंच सकता है?

पैगंबर मुह़म्मद (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम) प्रेम,वत्सलता (प्रीतियुक्तता), कोमलता और अच्छी भावनाओं के एक अटूट धारा थे।

वह अपने परिवार और पत्नियों के लिए वफादार और उत्तम प्रेमी थे। वह उनके साथ खेलते भी थे और मजाक भी करते थे। तथा वह उन्हें प्रेम, प्रीतियुक्तता और कोमलता देते थे। अतः वह (उदाहरण के लिए) वह अपनी पत्नी आ़एशा से अपने प्यार का इज़हार इस प्रकार करते थे कि वह कुछ पीने के लिए अपने होंठ बर्तन पर उस जगह रखते थे कि जिस जगह से हज़रत आ़एशा पीती थीं  उन्हें एक ऐसा गुप्त संदेश देते हुए जो की उनके दिल को खुश करदे और उनकी भावनाओं को हिलाकर रख दे, और इस जैसे उनके जीवन में बहुत उदाहरण हैं।

यहां तक कि उन्होंने एक खुशहाल परिवार में वफादार प्रेमी का प्रतिनिधित्व किया, अतः वह अपनी मृत पत्नी ख़ादीजा को नहीं भूले बल्कि वह उनके रिश्तेदारों के साथ अच्छे संबंध बनाए रख कर उनसे अच्छा व्यवहार करते  बल्कि  उन्हें उपहार भेजते थे और इस तरह हज़रत आ़एशा के फ़ज़्ल और अच्छाई को याद करते रहते थे, और जब उनकी उपस्थिति में  हज़रत खदीजा के बारे में कुछ कहा जाता ( यानी कुछ अपमान किया जाता ) तो वह बहुत क्रोधित होते थे।

अतः अबू नजीह़ ने हाला - हज़रत ख़ादीजा  की बहन - की उस कहानी में उल्लेख किया कि जिस में हाला ने पैगंबर (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम ) से मिलने की अनुमति मांगी, हज़रत आ़एशा कहती हैं कि अल्लाह ने आपको  बूढ़ी पत्नी- इस से उनका मतलब ख़ादीजा थीं - के बदले में  युवा पत्नी दे दी, तो इस बात से पैगंबर (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम ) क्रोधित हो गए, यहां तक कि मैंने कहा "मैं उस अल्लाह की कसम खाती हूं जिसने आप को सच्चाई के साथ भेजा कि आज के बाद में ख़ादीजा को अच्छाई ही से याद करुंगी। "(बुख़ारी)

इस्लामी राज्य के प्रमुख,सेना के कमांडर और अपने अनुयायियों के नैतिक और बौद्धिक मार्गदर्शन के रूप में  पैगंबर मुह़म्मद (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम ) पर भारी और बहुत अधिक बोझ होने के बावजूद भी वह अपने परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों को नहीं भूले, बल्कि वह गृहकार्य में अपनी पत्नियों की सहायता करते थे, जो यह बताता है कि महिलाओं का इस्लाम में बहुत  बड़ा महत्व है।

हज़रत अल अवसाद कहते हैं कि मैंने हज़रत आऐ़शा से पूछा कि पैगंबर मुह़म्मद (सल्लल्ललाहु अलैहि व सल्लम) अपने घर में क्या करते थे? तो उन्होंने कहा " वह  घर के कामों में अपने परिवार की सहायता करते थे और जब नमाज़ का समय हो जाता तो नमाज़ पढ़ते थे।" (बुख़ारी)


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